How young children learn English language

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 How young children learn English language 




नमस्कार दोस्तों! क्या आपने कभी सोचा है कि हम भाषा कैसे सीखते हैं? खासकर बच्चे, कैसे वो इतनी जल्दी शब्दों की दुनिया में घुलमिल जाते हैं? आज हम इसी रहस्य से पर्दा उठाएंगे! हमारी यात्रा होगी भाषायी अधिगम सिद्धांतों की, जहाँ हम समझेंगे कि कैसे नियम और प्रक्रियाएँ मिलकर इस जादुई सीखने की प्रक्रिया को संचालित करती हैं। तैयार हैं? तो चलिए, 10 रोचक बिंदुओं के साथ इस सफर पर निकलते हैं!

1. व्यवहारवाद: अनुकरण का खेल

पहला पड़ाव है - व्यवहारवाद! ये सिद्धांत कहता है कि बच्चे अपने आसपास के बड़ों की नकल करते हुए भाषा सीखते हैं। हाव-भाव, आवाज़ें, शब्द - बच्चे धीरे-धीरे इन्हें दोहराते हुए खुद बोलना शुरू करते हैं। जैसे, माँ "दूध पी लो" कहती है, तो बच्चा "दू-दू" बोलकर अनुकरण करता है।

2. नैसर्गिक सिद्धांत: जन्मजात प्रतिभा

नैसर्गिक सिद्धांत का मानना है कि हम भाषा सीखने की क्षमता के साथ ही पैदा होते हैं। हमारे मस्तिष्क में एक जैविक आधार होता है जो हमें वाक्य संरचनाओं को समझने और सीखने में मदद करता है। यह एक तरह का “भाषा का लेंस” है जिससे हम दुनिया को देखते हैं!

3. संवादात्मक सिद्धांत: बातचीत का जादू

भाषा सिर्फ सुनने या बोलने से नहीं खिलती, बल्कि बातचीत से! ये सिद्धांत बच्चे और उसके परिवेश के बीच के संवाद को महत्वपूर्ण मानता है। बातचीत के ज़रिए ही बच्चे अपने वाक्यों को ठीक करते हैं, नए शब्द सीखते हैं और भाषायी नियमों को समझते हैं। जैसे, खेल-खेल में माँ पूछती है, "क्या खाना चाहते हो?" और बच्चा जवाब देता है, "ब्रेड!" यहाँ बातचीत से सीख हो रही है।

4. संज्ञानात्मक सिद्धांत: मस्तिष्क का नक्शा

संज्ञानात्मक सिद्धांत बच्चे के अंदरूनी संसार पर ज़ोर देता है। मानता है कि बच्चे अपने आसपास की जानकारी को समझने और व्यवस्थित करने की अपनी क्षमता का इस्तेमाल करके भाषा सीखते हैं। वे धीरे-धीरे शब्दों को श्रेणियों में बांटते हैं, नियमों को पहचानते हैं और अपना “भाषा का नक्शा” बनाते हैं।

5. क्रियात्मक सिद्धांत: अर्थपूर्ण संवाद

इस सिद्धांत में भाषा को सिर्फ नियमों का समूह नहीं, बल्कि अर्थपूर्ण संवाद का ज़रिया माना जाता है। बच्चे अपनी ज़रूरतों और अनुभवों को व्यक्त करने के लिए भाषा का इस्तेमाल करते हैं। जैसे, भूख लगने पर बच्चा "दूध पिलाओ" कहता है, न कि सिर्फ "दूध"। इससे उसकी इच्छा स्पष्ट हो जाती है।

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6. त्रुटि विश्लेषण: गलतियों से सुधार

बच्चों द्वारा की जाने वाली गलतियाँ भी सीखने का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं! त्रुटि विश्लेषण बच्चों की भाषायी विकास प्रक्रिया को समझने में मदद करता है और हमें उन्हें सही रास्ता दिखाने का मौका देता है। जैसे, बच्चा "खा गया" के बजाय "खा लिया" कह सकता है। इससे हम जानते हैं कि वह भूतकाल का सही रूप सीख रहा है।

7. सामाजिक सांस्कृतिक सिद्धांत: समाज का प्रभाव

भाषा सीखना सिर्फ व्यक्तिगत प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ से भी जुड़ा होता है। एक बच्चा अपने परिवार, समुदाय और संस्कृति के प्रभाव में भाषा सीखता है। जैसे, ग्रामीण बच्चे खेती से जुड़े शब्द जल्दी सीखते हैं, जबकि शहर के बच्चे तकनीकी शब्दों से परिचित होते हैं।

8. विकासवादी सिद्धांत: इतिहास का सबक

विकासवादी सिद्धांत का मानना है कि भाषा सीखने की हमारी क्षमता मानव विकास का एक प्राकृतिक नतीजा है। हमारे पूर्वजों की संवाद करने की ज़रूरत ने हमारे मस्तिष्क को भाषा सीखने और इस्तेमाल करने के लिए तैयार किया। यह लगभग एक जैविक विरासत की तरह है जो हमें भाषाओं में महारत हासिल करने में सक्षम बनाती है।

9. व्यक्तिगत भिन्नताएं: हर बच्चा खास

हर बच्चा अलग है और भाषा सीखने की रफ्तार और तरीके भी अलग-अलग होते हैं। ये सिद्धांत व्यक्तिगत भिन्नताओं को स्वीकार करता है और बच्चों को अपनी गति से सीखने का मौका देता है। कुछ बच्चे जल्दी बोलना शुरू करते हैं, जबकि कुछ थोड़ा समय लेते हैं। यह बिल्कुल सामान्य है!

10. सीखने का वातावरण: भाषा का घर

भाषा सीखने के लिए एक सकारात्मक और प्रोत्साहित करने वाला वातावरण ज़रूरी है। बच्चों को भाषाओं से खेलने, कहानियाँ सुनने, बातचीत करने और खुद अभिव्यक्त करने का मौका मिलना चाहिए। माता-पिता, शिक्षक और परिवार मिलकर बच्चों के लिए ऐसा माहौल बना सकते हैं जहाँ वे भाषाओं में खोकर सीख सकें।

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FAQs regarding Linguistic Learning Theory:

1. क्या ये सिद्धांत सिर्फ बच्चों के लिए ही हैं?

नहीं, ये सिद्धांत बच्चों और वयस्कों दोनों पर लागू होते हैं। भले ही वयस्कों में सीखने की क्षमता धीमी हो सकती है, लेकिन उसी प्रकार के नियम और प्रक्रियाएँ उनके भाषा अधिग्रहण में भी भूमिका निभाती हैं।

2. अगर बच्चे गलतियाँ कर रहे हैं, तो क्या हमें उन्हें सही करना चाहिए?

बच्चों की गलतियाँ सीखने की प्रक्रिया का एक प्राकृतिक हिस्सा हैं। उनका सुधार धीरे-धीरे होता है। उन्हें सही करना ठीक है, लेकिन इसे संवेदनशीलता से और प्रोत्साहित करने के अंदाज़ में करना चाहिए।

3. बच्चों को नई भाषा सीखने में मदद करने के लिए मैं क्या कर सकता हूँ?

बच्चों के साथ बातचीत करना, उन्हें किताबें पढ़कर सुनाना, गाने गाना, खेल खेलना और उनके आसपास भाषा का इस्तेमाल करना - ये सभी तरीके उनकी भाषा सीखने की क्षमता को बढ़ावा देते हैं। एक सुरक्षित और प्रोत्साहित करने वाला वातावरण बनाना भी ज़रूरी है।

4. क्या हर बच्चा भाषा सीखता है?

सामान्य परिस्थितियों में, सभी स्वस्थ बच्चे भाषा सीखने की क्षमता के साथ पैदा होते हैं। हालांकि, कुछ बच्चों को सीखने में देरी हो सकती है या उन्हें विशेष सहायता की आवश्यकता हो सकती है। ऐसे मामलों में माता-पिता और शिक्षकों को डॉक्टरों और विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए।

5. क्या इन सिद्धांतों का इस्तेमाल सिर्फ भाषा सीखने के लिए ही किया जा सकता है?

नहीं, ये सिद्धांत अन्य प्रकार के सीखने के लिए भी लागू होते हैं। जैसे, बच्चे गणित, संगीत या खेल सीखते समय भी इन्हीं तरह के नियमों और प्रक्रियाओं का अनुसरण करते हैं।

6. भाषायी अधिगम सिद्धांतों के बारे में मैं और जानकारी कहाँ से प्राप्त कर सकता हूँ?

किताबें, लेख, ऑनलाइन संसाधन और विशेषज्ञों के वेबिनार आपके लिए जानकारी बढ़ाने के अच्छे विकल्प हो सकते हैं। आप अपने क्षेत्र के शिक्षकों और मनोवैज्ञानिकों से भी जानकारी ले सकते हैं।

मुझे उम्मीद है कि इन FAQs से आपको भाषायी अधिगम सिद्धांतों के बारे में समझ बढ़ाने में मदद मिली है!

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